Monday, May 11, 2020

दरभंगा एयरपोर्ट के भेटल नबका तारीख, अक्टूबर 2020



केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी 11 मई क' ट्वीट क' जनतब देलनि जे अक्टूबर 2020 धरि दरभंगा एयरपोर्ट सं जुड़ल सभटा काज निपटा लेल जाएत. ओ ट्वीट क' लिखलनि-

"कोरोना वायरस सं हमरा सभक लड़ाई क' मादे लॉकडाउन में दरभंगा एयरपोर्ट क' काज अस्थायी रूप सं रोकि देल गेल छल. एहि सं पहिले जोर-शोर सं काज चलि रहल छल. भारतीय वायु सेना सं फेर सं काज शुरू करबाक अनुमति लेल अनुरोध कयल गेल अछि. एक बेर जखन काज शुरू भ' जाइत अछि त' अक्टूबर 2020 धरि  सभटा काज खत्म भ' जेबाक चाही."
कतेक काज बाकी अछि अखन?

केंद्रीय नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह बतेलनि जे एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया सिविल एनक्लेव बना रहल अछि. एकरा ल' भारतीय वायुसेना सं जमीन लीज़ पर लेल गेल अछि. एकटा 150 लोक क' क्षमता बला टर्मिनल बनाओल जा रहल छैक. एकर 95 फीसद काज पूरा भ' गेल अछि.
10 मई के ट्विटर पर मचल छल अनघोल

10 मई क' दरभंगा एयरपोर्ट सं हवाई सेवा क' शुरुआत मे भ' रहल देरी क' ल' लाखों ट्वीट कयल गेल छल. केंद्र आ राज्य सरकार सं पूछल गेल छल जे दरभंगा सं एयर सर्विस मे एतेक देरी कथी लेल भ' रहल अछि. #DarbhangaAirport सं करीब सवा लाख ट्वीट कयल गेल छल. आ भारत में ई हैशटैग दुपहरिया सं सांझ धरि ट्रेंड करैत रहल छल.

Monday, February 3, 2020

भारत रंग महोत्सव: दिल्ली में मंचित होएत मैथिली नाटक 'राजा सलहेस'

एनएसडी साइट सं साभार
नई दिल्ली : 21म भारत रंग महोत्सवमे मे मैथिली एक बेर फेर पहुंच गेल अछि.

6 फरवरी कें सांझ 6 बजे नारी उद्गार संस्थान मैथिली नाटक राजा सलहेस (नटुआ नाच) क' मंचन करत. एकर निर्देशन यदुवीर यादव करताह. 'राजा सलहेस' ,महेंद्र मलंगिया द्वारा लिखल गेल अछि.

नाटकक' प्रस्तुति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, मंडी हाउस, नई दिल्ली मे होएत. नाटक करीब दू घंटाक अछि.

टिकट क' बुकिंग आहां ऑनलाइन सेहो क' सकैत छी. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा परिसर सं टिकट सेहो लेल जा सकैत अछि. टिकट क' दाम 50 टका सं शुरू अछि.

पिछला बरख भारत रंग महोत्सव मे मैलोरंग 'धूर्त समागम' क' मंचन केने छल जेकर खूब प्रशंसा भेल छल.

नाटक क' मादे

राजा कुलहेसर क' बेटी, राजकुमारी चंद्रावती, देवी दुर्गा सं राजा सलहेस सं विवाह क' वरदान मांगय छथि. देवी दुर्गा राजकुमारी चंद्रावती आ राजा सलहेस क' सपना में अबै छथि आ दुनु गोटें कें एक ठाम राजा कुलेसर क' बगिया मे भेंट करबाल लेल कहै छथि.

लेकिन सलहेस चंद्रावती सं विवाह क' ल' मना क' दै छथि. राजा सलहेस कें बंदी बना लेल जाएत अछि. सभटा एतहि पढ़ब? टिकट लिए आ नाटक देख' जाऊ.

Tuesday, November 19, 2019

फिल्म रिव्यू: गामक घर

स्क्रनशॉट: यूट्यूब
जहिया जनतब भेल जे मैथिली फिल्म 'गामक घर' कें जिओ मामी फिल्म फेस्टिवल मे चुनल गेल, तहिए सं एहि फिल्म के देखबाक मनोरथ छल. दीयाबाती आ छठि क' ल' गाम मे छलहुं त' भांज लागल जे मधुबनी फिल्म फेस्टिवल भ' रहल छैक आ ओतहि 'गामक घर' के स्क्रीनिंग सेहो हेतै. बस देखबा लेल पहुंच गेलौं. फिल्म देखबाक बीच मे 7 बेर बिजली कटल मुदा हिम्मत क' कें पूरा देखलौं.

जौं ट्रेलर देखने होएब त' खिस्सा मोटा-मोटी भांज लागि गेल होएत. एकटा गाम छैक आ ओतहि अप्पन घर. जतहि पहिने सभ कियौ रहैत छल. बाद मे 'नीक काल्हि' लेल सभ धीरे-धीरे गाम छोइड़ दैत छैक. कतेको बर्खक बाद एक दिन सब जमा होइ छथि. एतबहि अछि पूरा सिनेमा. एकरा बाद जे अछि से सभ एकरा बीच अछि.

कलाकारक गप्प करी त' अभिनव, मीरा, सत्येन्द्र, सोनिया सभ नीक काज केने छथि. खास क' अभिनव. आ चूंकि ई सभ मांजल नाटक कलाकर छथि सम्भवतः ताहि कारणे अप्पन-अप्पन रोल मे फिट बैसै छथि. गीत-संगीतक कोनो तेहन खास जगह नहि देल गेल अछि मुदा जखन-कखन बिहाइंड द सीन या क्षण भरि लेल खांटी लोकगीत बजैत अछि त' अहांके बुझाएत अछि जेना गाम मे होइ.

फिल्मक एकटा दृश्य मे अभिनव (स्क्रीनशॉट: यूट्यूब)


सिनेमा क' सिनेमोटोग्राफी देखबाक जोगर छैक. जौं अहां सिनेमोटोग्राफी क' छात्र छी त' अहां मात्रे टा सिनेमोटोग्राफी देखबा-बुझबा-जनबा लेल एहि सिनेमा कें देखि सकैत छी. चूंकि डायरेक्टर अचल मिश्रा सिनेमोटोग्राफी एक्सपर्ट मानल जाए छथि आ ई गप्प देखला पर अपनहि सोंझा अबैत छैक.

फिल्मक खास गप्प यैह छैक जे देखला पर एहन बुझाएत जेना घर-आंगन मे बैसल होइ आ जेना अहीं ओ पात्र होइ. माने बहुत रियलिस्टिक सन. कतहु ई नहि लागत जे ई जबरदस्ती क' सीन छैक. अहां नहि चाहैत छी जे ई सम्पन्न होए. बस चलैत रहै. अहां चाहैत छी जे जौं अहां लग टाइम ट्रेवल मशीन होए त' ओकर इस्तेमाल केर बेर आबि गेल अछि.

जौं अहां कें स्लो सिनेमा नहि पसिन पड़ैत अछि त' गामक घर अहां कें बोर क' सकैत अछि. पूरा सिनेमा डाइरेक्टर अचल अपनहि लिखने छथि. संवाद सभ मे किछु हिंदी शब्द सभ बीच-बीच मे अबैत अछि त' एना लगैत अछि जेना भात खेबा काल छोटकी पाथर दांत मे लागि गेल होए.

जौं अहां धिया-पुता मे गाम सं दूर कोनो शहर बसि गेल छी आ सभ दिन एक नहि एक बेर गाम मोन पड़ि जाएत अछि त' ई सिनेमा अहांके गाम दिस बजाओत.

हम कोनो सिनेमा एक्सपर्ट नहि छी, तैं रेटिंग नहि देब. एतेक पढ़लाक बाद जौं मोन हुए त' सिनेमा देख लेब आ नहि त' नहि.

फिल्म कहिया कतय रिलीज़ होएत, ई अखन धरि साफ नहि छैक मुदा ई तय छैक जे गामक घर क' प्रीमियर अखन बहुतो शहर मे हेबाक छैक.

एहि सभ तरहक सिनेमा एकटा भरोस दैत अछि जे मैथिली क' पेटारी मे बहुतो चीज़ छैक, बस ओकरा अहां कें ताकि निकालब अछि. नेशनल फ़िल्म अवार्ड्स सं पुरस्कृत 'मिथिला मखान' क' बाद एहि सिनेमाक सभसं बेसी चर्चा भ' रहल छैक. ई फिल्म के ओहि डायरेक्टर सभ कें जरूर देखबाक चाही जे सिनेमा के नाम पर औल-बौल किछु बना दैत छथि.

फ़िल्मक ट्रेलर एतहि देख सकैत छी.

संसद मे उठल 'DD मैथिली' क' मांग

संसद क' शीतकालीन सत्रक पहिल दिन दरभंगा लोकसभा सीट सं भाजपा सांसद लोकसभा गोपाल ठाकुर मैथिली मे बिजलनि. मैथिली भाषा मे डीडी मैथिली क' मांग करैत ठाकुर कहलनि जे,

मैथिली भाषा कें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अष्टम अनुसूची मे जगह देलखिन. करोड़ों लोक मैथिली बजैत छथि मुदा आई धरि डीडी मैथिली नहि शुरू भ' सकल अछि. एहि कारणे मिथिलावासी अपना कें उपेक्षित महसूस क' रहल छथि. हम अहांक (ओम बिरला, लोकसभा स्पीकर) सं मांग करय चाहब जे भारत सरकार आओर पीएम मोदी मैथिली भाषाक संरक्षण आ सांस्कृतिक विकास लेल डीडी सं 24 घण्टाक मैथिली टीवी शुरू कयल जाए. एहि लेल मिथिलावासी अहांक आभारी रहत'.

सांसद क' ट्वीट देखी.

Thursday, June 20, 2019

की अछि ई चमकी बोखार जाहि सं अखन धरि करीब सवा सौ धिया-पुता मुइल?

जिला मुजफ्फरपुर में लगातार भ' रहल धिया-पुताक मृत्यु सं पूरा देश चिंतित अछि. मृत्युक आंकड़ा सौ पार क' गेल आओर स्थिति खराप भेल जा रहल अछि. एहि बोखारक नाम 'चमकी बोखार' राखल गेल अछि. एकरा क्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम सेहो कहल जाइत अछि.

आऊ जनैत छी जे की छै ई 'चमकी बोखार' 

सभसं पहिले बुझई छी जे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की होइत छैक?

अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम देहक मुख्य नर्वस सिस्टम के प्रभावित करैत अछि आ सेहो खास क' छोट धिया-पुता सभ मे. एहि बेमारी क' लक्षण सब पर गप करी त'

1) पहिने-पहिने खूब तेज बोखार होइत छैक
2) फेर पूरा देह में अईंठन सन होइत छैक
3) देहक पोर-पोर में दर्द आओर पाचन क्रियाक कमजोर भ' जाएत छैक
4) रहि-रहि क' बेहोशी क' अवस्था
5) घबराहट भेनाय
6) जं समय पर इलाज नहि भेटय त' रोगीक मृत्यु भ' सकैत छैक. बेसी काल ई बीमारी जून सं अक्टूबर धरि देखल जाएत अछि.

कारण

डाकदर सभ अखन धरि ठीक-ठीक कारण नहि भजिया सकलथि. एकरा मादे अलग- ]अलग अनुमान लगाओल जाएत छैक. जेना-

गर्मी

कतेको डाकदर भीषण गर्मी के सेहो एहि बेमारी सं जूडी क' देखै छठी. मुजफ्फरपुर क' सिविल सर्जन क' कहब अछि जे एहि बरख भेल मृत्यु में बढ़ोतरी क' लेल निश्चित रूपें करगर गर्मीक पैघ भूमिका छैक. मई अंतें सं जिलाक तापमान लगातार 40 डिग्री सं फाजिल रहल. बहुतो विशेषज्ञक ई मानैत छथि जे गर्मी, उमस, गंदगी आओर कुपोषण बेमारीक सभसं पैघ कारण छैक.

लिच्ची

किछु विशेषज्ञक कहब छन जे धिया-पुताक मृत्य लीची लिच्ची खेला सं होइत अछि. लिच्ची मे प्राकृतिक रूप सं hypoglycin A आ methylenecyclopropylglycine पदार्थ होइत अछि जे देह मे फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनाबै के रोकबाक काज करैत छैक. एहि सं ब्लड-शुगर लो लेवल पर चलि जाइत छैक आओर माथा संबंधी दिक्कत होएब शुरू भ' जाएत छैक आ एकरा बाद दौरा आबय लगैत छैक.

अखन धरि एही बेमारी सं 121 टा धिया-पुताक मृत्युक खबर अछि.

Monday, December 17, 2018

11 बरख बाद फेर सं शुरू भेल मुजफ्फरपुर-दरभंगा रेलखंडक सर्वे

11 बरख क' बाद फेर सं मुजफ्फरपुर-दरभंगा नव रेल खंड क' निर्माण लेल सर्वे काज शुरू भ' गेल. 2012 क' बाद वित्तीय वर्ष 2018-19 क' बजट में स्वीकृति भेटलाक बाद पूर्व मध्य रेलवे प्राथमिकता आधार पर मुजफ्फरपुर-दरभंगा रेलखंड क' सर्वेक काज पूरा करबा मे लागि गेल अछि. सर्वेक काज जल्दी पूरा भेला सं बजट मे रेलवे बोर्ड सं वर्क सैंक्शन करा एहि परियोजना कें शुरू कएल जा सकैत अछि.

समय सं काज शुरू नहीं हेबाक कारणे योजना क' लागत करीब चौगुना भ' गेल अछि. योजना क' स्वीकृत लागत 282 करोड़ रुपया छल जे बरख 2007-08 में भेल सर्वेक्षण मे 495 करोड़ रुपया भेल छल आ 2012 मे रेलवे बोर्ड क' नव पॉलिसी एलाक बाद काज रोकि देल गेल छल. 282 करोड़ सं स्वीकृत योजना क' लागत बढ़ि क' आब 1050 करोड़ भ' गेल अछि.

किएक चाही मुजफ्फरपुर-दरभंगा रेल खंड?

मुजफ्फरपुर सं दरभंगा दू तरहें पहुंचल जा सकैत अछि, समस्तीपुर आ सीतामढ़ी बाटे. समस्तीपुर होइत दरभंगा क' दूरी 90 किलोमीटर अछि आ एहि मे कम सं कम 2 घंटा लगैत अछि. सीतामढ़ी बाटे दरभंगा क' दूरी 133 किलोमीटर अछि आ एहि मे कम से कम 2 घंटा 15 मिनट लगैत अछि. दरभंगा सं मुजफ्फरपुर क' दूरी 66 किलोमीटर हछैक एहि रेलखंड क' बनला सं 1 घंटा मे मुजफ्फरपुर सं दरभंगा पहुंचल जा सकैत अछि.

Saturday, December 8, 2018

विकास लेल स्थानीय आ प्रदेश सरकार क' बीच समन्वय जरूरी: मुख्यमंत्री राउत

प्रदेश नंबर 2 क' मुख्यमंत्री लालबाबु राउत कहलनि जे विकास आ समृद्धि लेल स्थानीय आ प्रदेश सरकार क' बीच समन्वय होएब जरुरी छैक. बीतल शुक्र दिन प्रदेश नंबर 2 स्तरीय गाम-पालिका राष्ट्रीय महासंघ क' पहिल प्रदेश अधिवेशन क' उद्घाटन करैत मुख्यमंत्री कहलनि, "विकास क' लेल जरुरी छैक जे स्थानीय आ प्रदेश सरकार मिलि क' काज करय. आओर कोनो विकल्प नहि छैक."

राउत कहलनि जे, "जे भी जनप्रतिनिधि छथि हुनका सभ कें दलगत मानसिकता आ प्रवृत्ति सं बाहर निकलब सेहो जरुरी छैक. भ्रष्टाचार लेल प्रदेश 2 बदनाम होइत जा रहल अछि आ ताहिलेल जनप्रतिनिधि सभकें सजग रहब जरुरी छैक."

Friday, December 7, 2018

मिथिला राजक मांग: शुरु भेल हस्ताक्षर अभियान

प्रदेश न. 2 कें नाम मिथिला घोषणा करबाक मांग सहित महोत्तरी जिलासं मिथिला यात्राक नामसं हस्ताक्षर अभियान शुरु भेल अछि. मैथिली भाषा, संस्कृतिके संरक्षण आ संवर्धन करबा लेल प्रदेश 2 कें बहुसंख्यक भाषा मैथिलीके सरकारी कामकाजी भाषा बनएबाक मांगसहित यात्रा प्रदेशके जिलामे पहुंचल अछि.
मिथिला यात्रामे अंजु यादव, आशुतोष नविन, विजयकुमार झा, उदय यादव, शेखर झा, खुश्वु जैसवाल, रुभा मण्डल, ध्रुव कुमार झा आ निराजन आदि क' सहभागिता अछि. मिथिला यात्राक क्रममे सार्वजनिक स्थानपर लोकसभक हस्ताक्षर संकलन कएल गेल अछि.
प्रदेशक नाम मिथिला आ प्रदेशक भाषा मैथिली रखबाक मांगसहित अभियान शुरु भेलाक बाद एकरा सराहना कएल गेल अछि. सामाजिक संजालक माध्यमे सेहो बहुतो लोक एहि अभियानसं जुडि रहल छथि. साहित्यकार धीरेन्द्र प्रेमर्षि एहि अभियानक विषयमे प्रतिकृया दैत फेसबुकपर लिखने छथि “हार्दिक शुभकामना. मिथिलाक युवा सदति लिखनाइपर विश्वास करै छथि, मटौनाइपर नहि. ई यात्रा सेहो अहांसभक सृजनशील लेखन अछि.”
प्रदेश 2 के नाम आ भाषाके निर्णय एखनधरि नहि भेल अछि. हालांकि प्रदेश सरकार एकटा सुझाव समिति बनौने अछि जे प्रदेशके नाम आ भाषाके विषयमे प्रदेश सरकारके सुझाव देत

Friday, August 3, 2018

Video: मिथिला राजक मांग ल' कीर्ति आजाद संसद मे उठेलनि आवाज


लोकसभा मे बीतल बृहस्पति दिन दरभंगा क' भाजपा सांसद कीर्ति आजाद उत्तर बिहार क' मिथिला क्षेत्र कें अलग राज बनेबाक मांग उठेलनि.

शून्यकाल में भाजपा सदस्य कीर्ति आजाद कहलनि जे उत्तर बिहार क' मिथिला क्षेत्र कृषि, शिक्षा मे मजगूत रहल अछि मुदा एखुनका समय मे मिथिला मे कतेको उद्योग बंद होएबाक बाद हालात खराब छैक. बाढ़ि, सुखाड़ सन प्राकृतिक विपदा कें कारणे क्षेत्र क' लोक के बड्ड दिक्कत भ' रहल छैक.

वीडियो देखू.
आज़ाद कहलनि जे सांस्कृतिक आओर भाषाई आधार पर मिथिला के अलग राज बनेबाक मांग संवैधानिक रूपे उचित अछि आ केंद्र सरकार के एहि दिस ध्यान देबाक चाही.

Thursday, August 2, 2018

संपादकीय: अप्पन धिया-पुता कें आधुनिक शिक्षा देब मुदा दोसरा कें मैथिली-मैथिली चिचिया उकसाएब?

नेपाल प्रदेश 2 के मैथिली विद्वान सभक नाम एकटा चिट्टी

श्रीमान महान मैथिल विद्वानगण!

अहां सभमे सं कियौ बताएब जे अहां सभ हमरा सभ सन आम आदमी कें कोन रंगक मैथिली सिखायब? 600 बरख पहिलुका संभ्रांत बिद्यापति ठाकुर कालीन तिरहुतिया/पुरोहितिया मैथिली अहां सभ सिखाएब की दरभंगा राज बला राजकीय मैथिली सिखाएब? आखिर मैथिली क' परिभाषा की अछि अहांक नजरि मे? आओर मैथिली क' टेक्स्ट बुक सभ दरभंगा प्रकाशन सं छपाएब? गणित, विज्ञान सभटा मैथिलीए मे पढ़ेबे की? ओना हम बुझि रहल छी जे कथित मैथिल विद्वान बनि अहां सभ अप्पन रोजी-रोटी चमकाबय मे कोन तरहें लागल छी.

अहां के बता दी जे हम साधारण स्थानीय ठेठी बोली बुझैत छी जेकरा अहां सभ अशुद्ध बुझैत छी आ अपवित्र सेहो बुझैत होएब, एहि लेल मैथिली-मैथिली चिचिया के अहां स्थानीय भाषा क' अनादर आ ओकरा सम्पन्न करबा मे लागल छी. खैर, अहां सभ कें राजा-महाराजा राज क' राजकीय भाषा मुबारक. एतहि पहाड़ क' लोक 1950क' संधि अनुसार भारतीय सरकारी सेवा क' लाभ सेहो उठा रहल छथि मुदा प्रदेश 2 क' दू जिल्ला क' पुरबिहा संभ्रांत लोक कें बस क्षणिक तुष्टि मे मजा आबि रहल छन.

अहां सभकें सामान्य जनताक जन-जीविका सं सरोकार रखनिहार भविष्य क' मादे सोचबा सं पाप लागत. अहां सब सिर्फ अपनहि अगिलका लोक सभ के आगू बढ़ाबैत रही, यैह त' अहां सभ चाहैत छी. सरकारी सेवाक मे पद त' होएत मुदा ओ मात्रे टा स्पेशल लोक सभ लेल आरक्षित रहत किएक त' पारिवारिक भाषा मे कामकाजी भाषा होई त' आओर की चाही?

देखा रहल अछि जे भारत क' मिथिला राज बला सभ ओम्हर फेल भ' गेलथि त' एम्हर आगि लगा रहल छथि. अपने भारत के धर्म निरपेक्ष रखता आओर नेपाल के कट्टर हिंदू देश बनौताह. कखन धरि हम सभ हुनक झांसा मे आबैत रहब? कहिया वर्तमान मे जीएब शुरू करब?

जौं नेपाल क' शासक सभ मध्यकालीन समय क' भानुभक्त कालीन या मोतीराम भट्ट कालीन खस-भाषा के लागू केने रहितथि त' आई हम सभ कोन तरहक खस भाषा स्कूल मे पढ़ि रहल होइतहुं अहां अंदाजा लगा सकैत छी. की अहुं सभ मैथिली कहि वैह मध्यकालीन कें दोहरायब?

अहां सभ जाहि तरहें मैथिली बोली आ लिखावट क' ओकालत क' रहल छी ओ यथार्थ धरातल सं दूर अछि, लेख्य भाषा आ कथ्य भाषा मे कोनो तारतम्य नहि छैक तैयो अहां सभ अप्पन महाकवि बिद्यापति आओर ललका पाग कें पूरा मध्य-मधेश मे लादय चाहैत छी. अप्पन घर क' धिया-पुता कें आधुनिक शिक्षा इंग्लिश, नेपाली, हिंदी मे पढ़ाएब मुदा दोसरा कें मैथिली-मैथिली चिचिया उकसाएब?

“ओना ब्यक्तिगत रुपस कैह दी जे हमरा अपन गाम घर में बोलइवाला हमर मातृभाषा-बोली के हम बिरोधी नै छिए मुदा बात रैह गेलै बर्तमानमे कामकाजी भाषाके रूपमे एकर उपयोगिता आ सांदर्भिकता के बारे मे. आई-काइल्ह जई तरिका स मैथिली कैहके जोन बोली आ लेखावट के बिकास करके प्रयास हो’रहल है से भाषा बिज्ञान के हिसाब से सेहो बहुते त्रुटिपूर्ण छै.”

एकटा बात मोन राखू, मधेश आंदोलन मात्रे प्रदेश 2 कें मिथिला राज बनेबाक लेल नहि भेल छल, पूरा मधेश कें “एक मधेश-एक प्रदेश” क' नारा द' उपेंद्र यादव जी राजनीति क' शिखर पर पहुंचल छलथि. आब ओ दोसर बाट ध' लेलथि त' की जनता के सेहो हुनका पाछू चलि जेबाक चाही?

हम सभ मधेसी टूटि क' नहि जुड़ि क' राजसत्ता सं संघर्ष करब तखनहि सफल भ' सकब. बस खंड-खंड मे बांटि एकल भाषा आओर एकल जातीय आधार पर राजनीति करब त' अहां केंद्रीय सत्ता के खुश करबाक काज करब, हुनकर काज आसान करब. ओ त' यैह चाहैत छथि.

ई जे हमर हिंदी प्रस्फुटन अछि, कोनो औपचारिक अध्यन बिना अछि, जौं औपचारिक अध्यन हिन्दी मे होएत त' शायद नीक प्रयास होएत. आजुक समयमे हिंदी क' उपयोगिता जेना तरकारी मे मस्सलाक होइत अछि तेनाही हमर दैनिक बोली-व्यवहार मे अछि, एकरा स्वीकार करबा मे हिचकिचेबाक कोनो जरुरत नहि. सभ मित्र सं निवेदन अछि जे हम सभी क्षणिक स्वार्थ त्यागि, विविधता मे एकता युक्त मधेश क' मादे संकल्प करी. पूब-पश्चिम मधेश के एक करबाक सोची.

ई लेख हिमालिनी डॉट कॉम लेल बिनोद पासवान लिखने छथि. एतहि अहां ओहि लेख क' मैथिली अनुवाद पढ़ि रहल छलौं.